इल्मे दीन क्या है ?

इल्मे दिन क्या है ?
अल्लाह और उसके रसूल ﷺ और औलियाये कराम के फ़रमान को समझ बुझ के साथ जानने का नाम इल्मे दीन है, इसके अलावा जितनी भी इल्म है सब इल्मे दुनिया है जैसे साइंस, मेडिकल, इंजीनिरिंग, लोव, स्कूल, कॉलेज और गैर इस्लामिक यूनिवर्सिटीज वग़ैरह क्योंकि इन तमाम अक़साम में जितनी भी बातें बताई जाती है उन तमाम का मक़सुद न ही हक़ को पहचानना है न ही आख़िरत का तलब है लिहाजा बन्दए मोमिन को जरूरतन इल्मे दुनिया हासिल करने की इजाजत है जिससे दुनियावी जरूरियात को पूरा किया जा सके। ईमान लाने के बाद असल मक़सद तो अल्लाह की इबादत है जो बग़ैर इल्मे दीन के मुमकिन नहीं इसलिए जानना चाहिए अल्लाह को पहचाने बग़ैर अल्लाह की इबादब नामुमकिन है क्योंकि दीन का दुश्मन नफ़्स , शैतान, शयातीन, दुनिया ये तमाम बातिल है जो हक़ को पहचाने और हक़ीक़त को जानने से रोकते है जबकि अल्लाह की तरफ से अम्बिया व औलिया के जरिये क़ुरआन, हदीस, अक़वाल का इल्म हासिल करना फर्ज करार दिया गया ताकि हक़ीक़त को जानकर हक़ को पहचाना, माना और नेक अमल किया जाए। क़ुरान, अहादीस, अक़वाल में जो हुक़्म है उसे जानना यही इल्मे दीन है, मानना ईमान है और हुक़्म के मुताबिक करना नेक अमल है। याद रहे क़ुरआन, अहादीस व अक़वाल तीन चीजों का मजमुआ है जानो (यानी इल्म का हुसूल ), मनो (यानी इमान लाना) और तीसरा करो (यानी नेक अमल ). वल्लाहु आलम
इल्म की तारीफ
इल्म वह नूर है कि जो शय उसके दाइरे में आ गई मुंकशिफ हो गई और जिससे मुतअल्लिक हो गया उसकी सूरत हमारे ज़ेहन में मुरतसिम हो गई।