Ghaus o Khwaja o Raza Trust

8%

GKR Trust

{ | }

GKR Trust

Allah Farmata Hai

بِسْمِ اللهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ

ऐ ईमान वालो अगर तुम ख़ुदा के दीन की मदद करोगे अल्लाह तुम्हारी मदद करेगा और तुम्हारे क़दम जमा देगा। 

(क़ुरआन, तर्जुमा कंजुल ईमान, सूरह – मुहम्मद, आयत न. 7)

hUQOOQ UL IBAD

1. Ambiya W aulia ke Huqooq

नबी ﷺ और आले नबी के हुक़ूक

हुज़ूर नबी करीम ﷺ ने फ़रमाया उस जा़त की क़सम जिसके क़बज़ए क़ुदरत में मेरी जान है किसी श़ख्स का कोई भी नेक अमल उसको कुछ फा़यदा न देगा जब तक कि वह हमारे हुक़ूक़ को न पहचाने और उनको अदा न करे। (सवाइके मुहर्रका सफा 766)

2. Momino Ke Huqooq

जिहाद के बराबर सवाब

हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया कि जो श़ख्स किसी दीनी भाई की इमदाद और फ़ाइदे के लिए क़दम उठाता है, उसे ख़ुदा की राह में जिहाद करने वालों जैसा सवाब मिलता है। (मुक़ाशफूतुल क़ुलूब, बाब 61, पेज 383

3. Khidmate Khalk

ख़ल्क पर शफ़क़्कत

हज़रत अबुल हसन ख़रकानी रहमतुल्लाहि अलैहि ने फरमायाः उस के दिल में खुदा की मुहब्बत नहीं होती जो अल्लाह की ख़ल्क पर शफ़क़्कत नहीं करता। (नफ़हातुल इन्स, बा हवाला क्या आप जानते है, पेज 598)

Allah Farmata Hai

بِسْمِ اللهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ

जो अल्लाह की राह में कोशिश करे तो अपने ही भले को कोशिश करता है बेशक अल्लाह बेपरवाह है सारे जहान से।

(क़ुरआन, तर्जुमा कंजुल ईमान, सूरह -अंकबूत, आयत नं. 6))

क्यों और कैसे ख़िदमत करे

फ़रमाने ग़ौसे आज़म

तमाम ख़ूबियों का मजमुआ इल्म सीखना, उसपर अमल करना और दूसरों को सिखाना है।

अल्लाह की राह में ख़र्च करो

अल्लाह की राह में ख़र्च करो और अपने हाथों हलाक़त में न पड़ो, और भलाई वाले हो जाओ बेशक भलाई वाले अल्लाह के मेहबूब हैं।

(सूरह – बक़रह, आयत न. 195)

हाथ और ज़बान से हिफाज़त

फ़रमाने हुजूरे अनवर ﷺ  है, मुसलमान वह है जिस के हाथ और ज़बान से लोग महफूज़ रहें और वह जानवरों पर रहम करे, उन से उन की ताकत के मुताबिक काम ले । (मुकाशफतुल क़ुलूब, बाब 18, पेज 129)

Deeni Kheedmat

महब्बत की हक़ीक़त
महब्बत  दिली कैफ़ियत का नाम है। महब्बत नाम है दिलों के जुड़ाव का। महब्बत कहते हैं किसी ज़ात की ख़ूबियों की वजह से उसकी तरफ़ दिल के झुक जाने को। महब्बत करने वाला अपने महबूब (जिससे वोह मुहब्बत करता है) के दिली तौर पर क़रीब होता है और ज़ाहिरी तौर पर भी क़रीब रहना चाहता है, वहीं नफ़रत दूरी का सबब है। मुहिब महबूब को अपना दिल दे देता है नतीजतन उसके दिल पर महबूब का इख़्तियार होता है और वोह अपने महबूब के ताबे होकर उसके कहे पर अमल करता है। इंसान को जिस चीज़ से महब्बत हो जाए उसकी सारी तवज्जोह, तमाम कोशिशें और सारी मेहनत उस चीज़ को पाने के लिए होतीं हैं। अगर येह महब्बत दुनिया से हो जाये तो सारी कोशिशें दुनिया और दुनिया की फ़ानी चीज़ों को हासिल करने की तरफ़ होंगी और अगर यही महब्बत दीन से हो जाए तो उसकी सारी कोशिशें आख़िरत और उख़रवी ने’मतों को हासिल करने के लिए होंगी। अगर महबूब हक़ वाला (अम्बिया, औलिया, औलमा में से) है तो अपने चाहने वाले को अल्लाह की तरफ़ ले जाता है लेकिन अगर महबूब बातिल है तो अपने चाहने वाले को शैतान की तरफ़ ले जाता है। क़ुरआन-ओ-हदीस में जहां भी अल्लाह के लिए महब्बत करने का हुक्म है वहां सिर्फ़ हक़ वालों की तरफ़ इशारा है जैसे अम्बिया, औलिया, शोहदा, सालेहीन, मोमिनीन वग़ैरहुम और जहां अल्लाह के लिए नफ़रत करने (बुग्ज़ रखने) का हुक़्म हुआ वहां सिर्फ़ बातिल और बातिल वालों की तरफ़ इशारा है जैसे नफ़्स ओ शैतान, दुनिया, कुफ़्फ़ार, मुनाफ़िकीन, मुर्तद्दीन और तमाम बदमज़हब। वल्लाहु अ’अलम। (मुसन्निफ़)

अल्लाह के लिए नफ़रत व मुहब्बत ईमान है
हदीस  :- ईमान की चीज़ों में सब में मज़बूत अल्लाह के बारे में मुवालात (महब्बत ) है और अल्लाह के लिए महब्बत करना और नफ़रत रखना । (बहारे शरीअत, हिस्सा 16)

हदीस :- रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया तुम्हें मालूम है अल्लाह के नज़दीक सबसे ज्यादा कौन सा अमल है किसी ने कहा नमाज़ रोज़ा ज़कात और किसी ने कहा जिहाद । हुज़ूर ने फरमाया सबसे ज़्यादा अल्लाह को प्यारा अल्लाह के लिए मुहब्बत (दोस्ती) और नफ़रत (बुग़ज़) रखना है। (बहारे शरीअत, हिस्सा 16)

अल्लाह के लिए मुहब्बत का मतलब
अल्लाह के लिए मुहब्बत का मतलब यह है कि अल्लाह की रज़ा के लिए तमाम हक़ वालों (उलमाए हक़ व हक़ अवमुन्नास) से मुहब्बत व दोस्ती रखना। उनसे मिलना जुलना, सलाम, कलाम, रिश्तेदारी, हाज़तरवाई, ख़िदमत, सख़ावत, ईसार का जज्बा वगैरह

अल्लाह के लिए नफ़रत का मतलब
इसी के बरअक्स अल्लाह के लिए नफ़रत का मतलब है कि अल्लह की रज़ा के लिए तमाम बतिलों जैसे कुफ़्फ़ार, मुनाफिक़ीन, बदअक़ीदों, मबमज़हबों, गुमराहों से नफ़रत, अदावत, दिली दुश्मनी, करना और उनकी मुसाबीहत न करना। उनसे मेल जोल से बचना , सलाम , कलाम, रिश्तेदारी, दोस्ती वग़ैरह से तर्क व परहेज़ करना।

महब्बत की अहमियत
अल्लाह के लिए महब्बत, ईमानी खसलत का नाम है। हुक़ूकुल इबाद (बंदों के हक़) की अदाएगी के लिए आपसी महब्बत का होना बहुत ही ज़रूरी है। इसके बग़ैर दूसरे मुसलमानों का हक़ अदा करने का जो हुक्म है उस पर अमल नामुमकिन है। जब कोई किसी से महब्बत करता है तो उसे उसके अंदर खूबियां नज़र आतीं हैं , उसकी ज़रूरत को अपनी ज़रूरत समझता है, उसके लिए रहम के जज़्बात रखता है, उसके लिए वही पसंद करता है जो अपने लिए पसंद करता है। येह तमाम खसलतें ईमानी खसलतें है। इस महब्बत के रहते एक मुसलमान के दिल में दुसरे मुसलमान के लिए हसद, कीना, नफ़रत जैसी बुरी खस्लतें जमा नहीं होंगी, उसकी ज़बान मुसलमान भाई की ग़ीबत, चुग़ली, उसे गाली देने और उसके खिलाफ़ झूठ से महफूज़ रहेगी और उसका हाथ क़त्लो गारत, ख़यानत, लड़ाई झगड़ा जैसे कामों से बचा रहेगा।

अल्लाह के लिए मोहब्बत

अल्लाह तआला इरशाद फ़रमाता है कि जो लोग मेरी वजह से आपस में महब्बत रखते हैं और मेरी वजह से एक दूसरे के पास बैठते हैं और आपस में मिलते जुलते है और माल खर्च करते हैं उनसे मेरी महब्बत वाजिब हो गई। (बहारे शरीयत, हिस्सा 16, पेज 245 )

 

मुहब्बत करने का हुक़्म
हजरत अब्बास रदियाल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि रसूले मकबूल ﷺ ने फरमाया: जो नेमतें अल्लाह त’आला तुम (उम्मती) को दे रहा है उनके बाइस उनसे महब्बत रखो और मुझसे खुदाए त’आला की महब्बत की वजह से महब्बत रखो और मेरी महब्बत की वजह से मेरे अहले बैत से महब्बत रखो। (तिर्मिजी शरीफ-जिल्द 2 सफा 768)

हक़ वालो से मुहब्बत रखो
अल्लाह और उस के रसूल सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की मोहब्बत के बाद अपने दूसरे मोमिन भाइयो से प्यार और मोहब्बत रखनी चाहिए और ऐसे लोगो से दोस्ती और मुहब्बत इख्तियार करना चाहिए जो मुत्तक़ी, नमाज़ी हो और ज़कात देने वाले हों और रुकूअ करने वाले हो उस से मालूम हुआ कि सिराते मुस्तकीम के मुसाफिर आपस में भाई भाई हैं और अहले ईमान का एक गिरोह है जो अल्लाह का गिरोह कहलाता है उस के मुकाबिले में शैतान का गिरोह है लिहाज़ा अल्लाह वालो के लिए ताकीद है कि वह ऐसे लोगो ही को दोस्त और साथी बनायें । जो अल्लाह के गिरोह को छोड़ कर गैरो से यानी शैतान वालो (कुफ़्फ़ार, मुनाफिक़ीन, बदअकीदा, बदमज़हबो) से तअल्लुक रखेगा तो अल्लाह उसका मददगार, नासिर और हामी न होगा। यानी ताईदे खुदावन्दी उस के शामिल हाल न होगी, लिहाजा हमें सबक मिला कि हम नमाज़ी ज़कात देने वाले मुत्तकी परहेज़गारो और अल्लाह वालों को दोस्त बनायें और दीनदार लोगो की सोहबत इख़्तियार करें।

अल्लाह के लिए नफ़रत का मतलब
इसी के बरअक्स अल्लाह के लिए नफ़रत का मतलब है कि अल्लह की रज़ा के लिए तमाम बतिलों जैसे कुफ़्फ़ार, मुनाफिक़ीन, बदअक़ीदों, मबमज़हबों, गुमराहों से नफ़रत, अदावत, दिली दुश्मनी, करना और उनकी मुसाबीहत न करना। उनसे मेल जोल से बचना , सलाम , कलाम, रिश्तेदारी, दोस्ती वग़ैरह से तर्क व परहेज़ करना।

अल्लाह के लिए नफ़रत व मुहब्बत ईमान है
हदीस न. 9 :- ईमान की चीज़ों में सब में मज़बूत अल्लाह के बारे में मुवालात (महब्बत ) है और अल्लाह के लिए महब्बत करना और नफ़रत रखना । (बहारे शरीअत, हिस्सा 16)

हदीस न. 10 :- रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया तुम्हें मालूम है अल्लाह के नज़दीक सबसे ज्यादा कौन सा अमल है किसी ने कहा नमाज़ रोज़ा ज़कात और किसी ने कहा जिहाद । हुज़ूर ने फरमाया सबसे ज़्यादा अल्लाह को प्यारा अल्लाह के लिए मुहब्बत (दोस्ती) और नफ़रत (बुग़ज़) रखना है। (बहारे शरीअत, हिस्सा 16)

अनपढ़ो को इल्म – फ़रमाने ग़ौसे आज़म है तमाम ख़ूबियों का मजमुआ इल्म सीखना, उसपर अमल करना और दूसरों को सिखाना है।

Toggle Content
Toggle Content
Toggle Content

हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया कि जो श़ख्स किसी दीनी भाई की इमदाद और फ़ाइदे के लिए क़दम उठाता है, उसे ख़ुदा की राह में जिहाद करने वालों जैसा सवाब मिलता है। (मुक़ाशफूतुल क़ुलूब, बाब 61, पेज 383

मोहताजो को हिम्मत – हदीस हज़रत अनस रदियल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत्त की कि रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया जो मेरी उम्मत में किसी की हाजत पूरी कर दे जिससे मकसूद उसको ख़ुश करना है उसने मुझे खुश किया और जिसने मुझे खुश किया उसने अल्लाह को खुश किया और जिसने अल्लाह को खुश किया अल्लाह उसे ज़न्नत में दाखि़ल फ़रमायेगा । (बहारे शरीअत, हिस्सा 16 , पेज 237)

सुन्नी रिश्ते और निकाह – इस ट्रस्ट के जरिए हम 2 दिलों को जोड़ने के लिए लकड़े और लड़कियो के नेक रिश्तें मिलाते है और निकाह कराते हैं। मियां बीवी झगड़ा जैसे मुसिबतों का निजा़त नेक मशवरा और समझौता के जरिए कराते है।

रूहानी ईलाज़ – ज़िस्मानी और रूहानी बिमारियों से परेशान इंसान एक बार जरूर मिले। दुनिया से आखि़रत तक के लिए ईलाज मौजूद है। अल्लाह के फज़्लो करम से इल्म, अमल और नेक दुवाओं के जरिए।

भूखों को खाना – फ़रमाने नबवी है, जो किसी भूके को फी सबीलिल्लाह खाना खिलाता है उस के लिए जन्नत वाजिब हो जाती है और जिस ने किसी भूके से खाना रोक लिया, अल्लाह तआला कियामत के दिन उस शख्स से अपना फ़ज़्ल व करम रोक लेगा और उसे अज़ाब देगा। (मुकाशफतुल क़ुलूब, बाब 18, पेज 131)

नंगो का कपड़ा – फ़रमाने नबवी है कि फ़कीरों को पहचानो और उन से भलाई करो, उन के पास दौलत है। पूछा गया कि हुजूर कौन सी दौलत है? आप ने फ़रमाया जब क़ियामत का दिन होगा अल्लाह तआला उन से फरमाएगा जिस ने तुम्हें खिलाया पिलाया हो या कपड़ा पहनाया हो उस का हाथ पकड़ कर उसे जन्नत में ले जाओ (मुकाशफतुल क़ुलूब, बाब 34)

बेवाओं को मदद – इब्ने माजा की हदीस है कि बेवा और मिस्कीन की देख-भाल करने वाला अल्लाह की राह में लड़ने वाला है और उस शख्स की तरह है जो रातों को इबादत करता है और दिन को रोजा रखता है। (मुकाशफतुल क़ुलूब, बाब 67)

यतीमों को मदद – हुजूरे अनवर ﷺ का इरशाद है कि जिसने यतीम के कपड़े और खाने की ज़िम्मेदारी ले ली अल्लाह तआला ने उसके लिए जन्नत को वाजिब कर दिया। (मुकाशफतुल क़ुलूब, बाब 18, पेज 131)

ज़िन्दो के लिए हिदायत – तुम में एक गिरोह ऐसा होनी चाहिए की भलाई की तरफ़ बुलाएं और अच्छे काम करने का हुक्म दे और बुरे कामों से रोके। यही लोग मुराद को पहुंचे। (सूरह इमरान, आयत नं. 104)

मुर्दो के लिए मग़फिरत – मय्यित को किसी नेक काम का सवाब बख़्शना बेहतर और अच्छा काम है “मुर्दा एक डूबने वाले की तरह किसी फरियाद रस के इन्तिज़ार में रहता है ऐसे वक़्त में सदक़ात और दुआएं और फातिहा इस के बहुत काम आते हैं येही वजह है कि लोग एक साल तक खुसूसन मौत के बा’द एक चिल्ले तक मय्यित को इस किस्म की इमदाद पहुंचाने की पूरी पूरी कोशिश करते हैं।“ (जन्नती ज़ेवर , पेज 301, 302, 303 हिंदी)

Rasoolullah ﷺ Farmate Hai

بِسْمِ اللهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ

“एक ज़माना ऐसा आएगा की दीन का काम भी बग़ैर रुपया के न चलेगा।”

(फतावा रज़्वीया जिल्द 12, स० 133)

माल से दीन की ख़िदमत कर सकते

Daily Donate

माल में बरकत :

अल्लाह फ़रमाता है : (तर्जुमा) जो चीज तुम अल्लाह की राह में खर्च करो वो उसके बदले और देगा।
(कंजुल ईमान, सूरह सबा, आयत न. 39)।

Monthly Donate

सदक़ा से गुनाहों का घटना :

अल्लाह फ़रमाता है : (तर्जुमा) अगर सदक़ा एलानिया दो तो वह क्या ही अच्छी बात है और अगर छुपा कर फक़ीरों को दो ये तुम्हारे लिये सबसे बेहतर है और उसमें तुम्हारे कुछ गुनाह घटेंगे और अल्लाह को तुम्हारे कामों की ख़बर है। (कंजुल ईमान, सूरह बक़रह, आयत नं. 271)

Yearly Donate

मालदारों के माल में गरीबों का हक़ :

अल्लाह फ़रमाता है : (तर्जुमा) वो (मालदार) जिनके माल में एक मालूम हक़ है उसके लिये जो (मांगने वालें) मांगे और जो मांग भी न सके तो मेहरूम रहे। (कंजुल ईमान, सूरह मा’अरीज, आयत न. 24,25)

Work in Progress

0%

0 100%
Allah Ki Raza Ke Liye

What Say People about Trust & Founder

Aslam Khan Qadri Team Member

Alhamdulilla, Allah Ta'aala ka fazlo karam hai jisne Anwar Raza Khan Qadri jaise Rahnuma ka Jariya ata kiya Jo mujh jaise Gunahgar, Duniyadar Aur Bekar insan Ko Deendari ki Taraf laye .Ajtak kisi Alim ne mujhe nahi bataya Duniya , Shaitan aur iman ki Haqiqat ke bare me , Mai kitani bekar zindgi ji raha tha Aaj mujhe Unhi ke jriye se bahut faida hasil Huwa mujhe bahut Nasihat ki hai jis ki wajhe se taoba ki Thofique mili insha Allah ab is Tanjim Ghus o khwaja o raza Trust ka mai team Membar bankar Deen ki khidmat ke Liye Hamesa Taiyar hu

Nisar Ahmad Qadri Team Member

Alhamdulillah, Allah subhan wa ta'ala ka fazlo Karam he Jisne Anwar Raza khan Qadri jaise Rahnuma ka jariya ata kiya jo mujh jaise Gunahgar or Duniyadar ko deendari Ki taraf lane wale he or nasihat karne wale he. Rabka shukar he jiski wajah se tauba ki taufique mili or In Sha Allah ab is tanjim 'Ghaus o khwaja o Raza trust' jiski buniyad 2023 me rakhi gyi Deeni Kam ke liye jiska maksad sirf or Sirf Allah ki Raza he Mai ab Team Member banker Deen ki Khidmat ke liye hmesha Tayyar Hu.

T. F. Q. R. Team Member

Alhamdulillah Allah Pak Ka Sukr Wa Ahsan He Ke Usne Hame Anwar Raza Khan Qadri Bhaiya Ke Jariye Touba Ki Toufik Di Our Hidayat Ata Farmaya... Deen Ka Kam Karte Huye Bohat Logo Ko Dekha Gaya Lekin Anwar Bhaiya Jaisa Kam Hi Milte He Jo Sirf Deen Ki Khatir Kaam Karte He Isi Kaam Ko Logo Tak Pohchane Ke Liye " Gous O Khwaja O Raza Trust " Tanjim Ki Buniyad Rakhhi Gayi He Jiska Maqsad Sirf O Sirf Allah Ki Raza He..

About Team in Quraan

Allah Farmata Hai

بِسْمِ اللهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ

तुम में एक गिरोह (Team) ऐसा होनी चाहिए की भलाई की तरफ़ बुलाएं और अच्छे काम करने का हुक्म दे और बुरे कामों से रोके । यही लोग मुराद को पहुंचे।

(क़ुरआन, कंजुल ईमान, सूरह इमरान, आयत नं. 104)

Founder

Sufi Anwar Raza Khan Qadri

(Founder, Writer, Designer) Ranchi,Jharkhand

Mureede Tajush Sharia, BaFaije Roohani Khwaja Garib Nawaj

Our Team Members

Alfaiz Khan Qadri

Proof Reader

(Rajasthan)

Nishar Ahmad

Maal Donner

(Dubai)

Muhammad Mukhtar

Proof Reader

(Madhya Pradesh)

Shares