
फाउंडर सूफ़ी अनवर रज़ा खान क़ादरी की गुज़ारिश:
जब इंसान दुनियादार बन जाता है तो उसके दिल में इस्लाम की अज़मत, ईमान की हलावत, हक़ की इताअत, हक़ वालो की मुहब्बत व निस्बत बाकी नहीं रहती वैसा शख्स सिर्फ दौलत, शोहरत व ख़्वाहिशात का तलबगार होता है अगरचे वो बज़ाहिर (जिस्म व जबान ) से हक़ का दावेदार हो लेकिन दिल तो बातिल के कब्जे में होता है इसलिए आप से गुज़ारिश है दुनियादारी को तर्क करे और दीनदारी का तलब में अपना तमाम वक़्त, मेहनत, हिम्मत, कोशिश, जान व माल का क़ुरबानी करे ।।
फाउंडर सूफ़ी अनवर रज़ा खान क़ादरी की नसीहत:
ये दुनियादार और बेकार मुसलमानो अगर तुम्हारे पास दीन का इल्म नही तो अक़्ल तो है जिसका इस्तेमाल तू दुनिया हासिल करने के लिए करता है यानी अपना खून-पसीना बहा कर, वक़्त, ताकत, सेहत और दौलत का कुर्बानी देकर दुनिया हासिल करता है और दुनियादार बना हुआ है काश की उस अक़्ल का इस्तेमाल से और उतना कुर्बानियां देकर आख़िरत का हुसुल का नियत और चाहत रखता तो आज दुनिया मे इतना ज़लील व रुसवा नही होता और आख़िरत में भी जहन्नम की अज़ाब में मुब्तला होने से बचा लिया जाएगा। अब भी वक़्त है अक़्ल का इस्तेमाल कर और अपने काम का अंजाम सोच ले क्योंकि अल्लाह का फरमान है।
फ़रमान न. 1
क़ुरआन में अल्लाह फ़रमाता है (तर्जमा) “तुम दुनिया और आख़िरत के काम सोच कर करो”
(सुरह बकरा, आयत न. 220)
फ़रमान नं. 2
क़ुरआन में अल्लाह फ़रमाता है (तर्जमा) : “जो मुसीबत पहुंची वह इसके सबब से है जो तुम्हारे हाथों ने कमाया (यानी खुद का गुनाह किया)”। (सूरह शूरा, आयत न. 30)
फ़रमान नं. 3
क़ुरआन में अल्लाह फ़रमाता है
(तर्जमा) : ऐ सुनने वाले तुझे जो भलाई पहुँचे वो अल्लाह की तरफ से है और जो बुराई पहुंचे वो तेरी अपनी तरफ से है। (कंजुल ईमान, सूरह निसा, आयात न – 79)
Duniya Ki Haqiqat

माल और औलाद की मुहब्बत दुनिया है
माल और बेटे यह जीती दुनिया का सिंगार है और बाकी रहने वाली अच्छी बातें।
(सुरह काफ, आयत न. 46)
Duniya Ki Mazammat

दुनिया की सब से बड़ी ख़राबी
दुनिया की सब से बड़ी बुराई यह है कि उस में आदमी अल्लाह का नाफरमान बन जाता है
(मुकाशफतुल क़ुलूब, बाब 31)
Duniya Ki Misal

फ़ानी दुनिया की मिसाल
लोगों के लिये आरास्ता की गई उन ख़्वाहिशों की महब्बत औरतें और बेटे और तले उपर सोने चांदी के ढेर और निशान किये हुए घोड़े और चौपाए और खेती, यह जीती दुनिया की पूंजी है और अल्लाह है जिसके पास अच्छा ठिकाना (जन्नत है)
(सुरह इमरान, आयत न. 14)
Tarke Duniya Ka Huqm

दुनिया को दुनियादारों के लिए छोड़ दो
फरमाने नबवी है कि दुनिया दुनियादारों के लिए छोड़ दो, जिस ने अपनी ज़रूरत से ज़्यादा दुनिया ले ली. उस ने बेख़बरी में अपने लिए हलाकत ले ली। राहे खुदा में खर्च होने वाला माल बाक़ी रहता है (मुकाशफतुल क़ुलूब)