GKR Trust

{ }

GKR Trust

हुक़ूकुल्लाह

हक़ का जामा (बहुवचन) को हुक़ूक कहते है इसका मतलब किसी के एहसान का बदले में उसका बदला देना है। यानी कोई कुछ दिया तो उसके बदले में उसके लिए भी कुर्बानियां दिया जाना चाहिए । अल्लाह ने इंसानों को बनाया और जिस्मो जान, जिस्मानी अंग अता किया और उसे जिंदा रहने के लिए रिज़्क़ और तरह तरह की सहूलियत और नेएमते अता किया इसके बदले में अल्लाह बदनी अमल और माली क़ुर्बानी देने का हुक़्म दिया। हुक़ूकुल्लाह यानी बंदों के जिम्मे अल्लाह का हक़ है जिसे निभाने (अदायगी) को फ़र्ज़ करार दिया गया है जो इस फ़र्ज को ना माने वो काफ़िर और जो इस फ़र्ज़ को अदा न करे वो फ़ासिक फ़ाज़ीर है। दोनों हुक़ूक अदा करना ईमान की अलामत है और यही फरमाबरदारी और वफादारी है। जैसे अल्लाह को पहचानना, अल्लाह को एक मानना, अल्लाह का फरमान मानना, अल्लाह की जात व सिफ़ात पर ईमान लाना। अल्लाह की जात पर ईमान लाने का मतलब अल्लाह एक है और वही इबादत के लायक है। लिहाजा दिल में उसी के लिए मुहब्बत, खौफ़, इख़लास, तवक़्क़ल होना चाहिए और ज़िस्म व ज़िस्मनी आज़ा से उसी की इताअत (फरमाबरदारी) नमाज़, रोज़ा, हज़्ज़, उसी के राह में उसकी दी हुवी नेअमतों को खर्च करना चाहिये और ज़बान से उसका ही ज़िक्र, शुक्र, और तारीफ बयां करना चाहिए ।
किसी बातिल मख़लूख जैसे नफ़्स अम्मारा और नफ़्सनी इंसान, शैतान और शैतान वालों, दुनिया और दुनियादारों की इताअत और मुवाफ़िक़त नहीं करना चाहिए इसी नफ़ी का दर्श हमे कालिमा तैयबा यानी ला इलाहा इल्लल्लाह मुहम्मदुरर्रसूलूल्लाह” तर्जुमा (नहीं कोई मअबूद (जिसकी इताअत की जाए) सिवाए अल्लाह के और मुहम्मद मुस्तफ़ा अल्लाह के रसूल (यानी अल्लाह के तरफ से आसमानी किताब लाने वाले और शरीयत व सुन्नत बताने वाले) है।

Allah Ki Zaat Per Iman (Tauheed)

Wait…

Allah KI Shifaat Per Iman (Tauheed)

Wait…

Allah K Kaam Per Iman (Tauheed)

Wait…

Allah Ka Farman Per Iman (Tauheed)

Wait…

Marfate Ilahi

Wait…

Mohabbate Ilahi

Wait…

Ita'ate Ilahi

Wait…

Zikre Ilahi

Wait…

Qurbe Ilahi

Wait…

Muhabbat aur Nafrat Allah ke liye

Wait…

Allah Ke Rah me Jehad

Wait…

Allah Se Darna

Wait…

Allah Per Tawakul

Wait…

Allah Ki Raza (Ikhlash)

Wait…

Namaz

Wait…

Roza

Wait…

Hajj

Wait…

Zakat

Wait…

Scroll to Top